चंडीगढ़, 17 अक्तूबर (हरबंस सिंह)
पंजाब के खनन एवं भू-विज्ञान मंत्री श्री बरिंदर कुमार गोयल ने आज कहा कि राज्य की खनन नीति में किए गए सुधारों के शानदार परिणाम सामने आने लगे हैं। इनसे कानूनी खनन गतिविधियों को मज़बूती मिली है, रेत और बजरी की आपूर्ति में सुधार हुआ है और पारदर्शिता के ज़रिए राज्य के राजस्व में वृद्धि हुई है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि “लैंडओनर माइनिंग साइट्स (एल.एम.एस.)” और “क्रशर माइनिंग साइट्स (सी.आर.एम.एस.)” की शुरुआत ने ज़मीन मालिकों और क्रशर संचालकों को सशक्त बनाकर खनन क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया है। इसके साथ ही राज्य की अन्य राज्यों से कच्चे माल पर निर्भरता में कमी आई है। इस पहल ने और अधिक हितधारकों को कानूनी दायरे में शामिल कर अवैध खनन को रोकने में अहम भूमिका निभाई है।
उन्होंने बताया कि संशोधित नीति लागू होने के बाद विभाग को सी.आर.एम.एस. के लिए 240 से अधिक आवेदन और एल.एम.एस. के लिए 95 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 23 सी.आर.एम.एस. और 4 एल.एम.एस . के लिए स्वीकृति पत्र पहले ही जारी किए जा चुके हैं और शेष आवेदनों को जिला सर्वेक्षण रिपोर्टों में शामिल करने की प्रक्रिया प्रगति अधीन है। पर्यावरणीय स्वीकृतियाँ पूरी होने के बाद इन साइटों के दिसंबर 2025 से मार्च 2026 के बीच कार्यशील होने की संभावना है।
श्री गोयल ने कहा कि एल.एम.एस. और सी.आर एम.एस.के लागू होने से बाज़ार में कच्चे माल की उपलब्धता में वृद्धि हुई है, जिससे निर्माण और विकास परियोजनाओं के लिए निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हुई है। इस कदम से स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसरों में वृद्धि के साथ-साथ राज्य की रॉयल्टी आय में भी इज़ाफ़ा हुआ है।
खनन एवं भू-विज्ञान मंत्री ने यह भी बताया कि पंजाब सरकार ने 11.58 करोड़ घन फुट कच्चे माल वाली 29 व्यावसायिक खनन साइटों के लिए नई ऑनलाइन नीलामियाँ शुरू की हैं, जो पिछले तीन वर्षों में पहली नीलामी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को ऑनलाइन बोली प्रणाली के माध्यम से पूरी तरह पारदर्शी बनाते हुए मनमाने अलॉटमेंटों को समाप्त किया गया है और सभी वास्तविक प्रतिभागियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि मूल्य-आधारित बोली, अग्रिम रॉयल्टी भुगतान और विस्तारित लीज़ अवधि की शुरुआत से नीलामी प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के साथ साथ इसकी संचालन कुशलता में सुधार किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि अब बोलीदाता पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने के लिए स्वयं ज़िम्मेदार होंगे, जिससे परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन और जवाबदेही सुनिश्चित की जा रही है।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि कानूनी रूप से कच्चे माल की आपूर्ति को और बढ़ाने और खनन इको-सिस्टम को मज़बूत करने के लिए चरणबद्ध रूप से लगभग 100 अतिरिक्त स्थलों की नीलामी की जाएगी। उन्होंने कहा कि इन नीतिगत सुधारों का उद्देश्य पंजाब के खनन कार्यों को पारदर्शी, जवाबदेह और जन-हितैषी बनाना है।
श्री गोयल ने दोहराया कि मुख्यमंत्री श्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार निष्पक्ष और टिकाऊ संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। कैबिनेट मंत्री ने स्पष्ट कहा कि हमारे प्रयास एक पारदर्शी प्रणाली बनाने पर केंद्रित हैं, जो कानूनी ढंग से खनन कार्यों को प्रोत्साहित करते हुए राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ राज्य के लोगों के हितों की रक्षा करें।
श्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि पहले पंजाब में बजरी का खनन मुख्य रूप से विभाग द्वारा अलॉट की गई व्यावसायिक माइनिंग साइटों से मुख्य तौर पर ड्रा तक सीमित था। क्रशर मालिक इन सीमित व्यापारिक साइटों पर अत्यधिक निर्भर थे या अन्य राज्यों से कच्चा माल मंगवाते थे, जिससे इसकी कमी और लागत दोनों बढ़ जाती थीं। कई क्रशर मालिकों के पास पर्याप्त बजरी वाली ज़मीन होते हुए भी वे प्रतिबंधों की शर्तों के कारण उसका उपयोग नहीं कर पाते थे, क्योंकि अपनी ज़मीन से बजरी निकालने की उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग लंबित थी। इससे पंजाब के बजरी भंडारों का बड़ा हिस्सा अप्रयुक्त रह गया था।
उन्होंने कहा कि अब पंजाब सरकार द्वारा क्रशर माइनिंग साइटों से संबंधित मुख्य संशोधनों को मंज़ूरी देने से बजरी की खुदाई संबंधी कार्यों में सुधार हुआ है। बजरी वाली ज़मीन के मालिक क्रशर अब खनन लीज़ के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिससे अन्य राज्यों पर निर्भरता घटेगी और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। इस कदम से विकास परियोजनाओं के लिए रेत और बजरी की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए व्यापारिक अवसरों और रोज़गार में वृद्धि होगी। उन्होंने आगे कहा कि आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार से संभावित रूप से बाज़ार की कीमतें स्थिर होंगी और राज्य का राजस्व बढ़ेगा।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार रेत खनन कार्य व्यावसायिक माइनिंग साइटों और सार्वजनिक माइनिंग साइटों तक सीमित थे। इस प्रतिबंधित मॉडल ने मांग और आपूर्ति के बीच लगातार अंतर पैदा किया क्योंकि अधिकांश ज़मीन मालिक बाहरी पक्षों को अपनी ज़मीन पर खनन की अनुमति देने से हिचकिचाते थे। सरकार को अक्सर इन ज़मीन मालिकों से अपनी ज़मीन पर खुदाई करने के अधिकार देने संबंधी आवेदन प्राप्त होते थे, जिससे नीति में संशोधन की ठोस आवश्यकता महसूस हुई।
उन्होंने कहा कि “लैंडओनर माइनिंग साइट्स” की शुरुआत के ज़रिए पंजाब सरकार ने रेत खनन में नई संभावनाओं को उजागर किया है। अब ज़मीन मालिक राज्य को केवल निर्धारित रॉयल्टी का भुगतान कर अपनी ज़मीन पर खुदाई कर सकते हैं या किसी अन्य को ऐसा करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं। इस सुधार से साइटों की संख्या और रेत की उपलब्धता बढ़ेगी, नए रोज़गार पैदा होंगे और प्रतिस्पर्धी बाज़ार मूल्य सुनिश्चित होंगे। “लैंडओनर माइनिंग साइट्स” की शुरुआत इस क्षेत्र में एकाधिकार को समाप्त कर निष्पक्ष भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी और अब हर योग्य ज़मीन मालिक के लिए खनन अधिकार सुनिश्चित होंगे।