संगरूर, 22 मई:

पंजाब को उजाड़ने के रास्ते पर चल रही भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नापाक साजिशों की कड़ी आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज कहा कि पंजाब सरकार भाखड़ा बांध पर सीआईएसएफ  तैनात करने के केंद्र सरकार के फैसले का डटकर विरोध करेगी और केंद्रीय बलों की तैनाती के खर्च के तौर पर राज्य एक धेला भी नहीं देगा।

आज यहां पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को एक बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि न तो हमारे पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए एक बूंद अतिरिक्त पानी है और न ही जबरन तैनात की जा रही सीआईएसएफ के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को देने के लिए कोई पैसा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार यह रकम कभी भी अदा नहीं करेगी क्योंकि केंद्र सरकार बांध पर केंद्रीय बलों को तैनात करके राज्य के पानी को चुराने की नीयत से यह घटिया चाल चल रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्हें अनाज और अन्य वस्तुओं के लिए तो पंजाब की जरूरत है लेकिन दूसरी ओर वे इस घिनौनी कार्रवाई के जरिए राज्य के पानी को छीनने की कोशिश कर रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब को देश के प्रति उसके बड़े योगदान के लिए कोई विशेष पैकेज देने के बजाय भाजपा राज्य के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे आने वाले शनिवार को होने वाली नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री के सामने इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाएंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि भाजपा ऐसी घटिया चालों का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य के सख्त खिलाफ है क्योंकि पंजाब के लोगों ने उन्हें कभी वोट नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह बड़ी हैरानी की बात है कि भले ही पंजाब भारतीय सेना में देश सेवा करने के साथ-साथ राष्ट्रीय अनाज पूल में बड़ा योगदान डालने में देश का नेतृत्व करता है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हमेशा राज्य को नजरअंदाज किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार पंजाब विरोधी सोच की धारी हो चुकी है, जिसके कारण वह राज्य को बर्बाद करने पर तुली हुई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए  सरकार का वश चले तो वह राष्ट्रगान में से पंजाब का नाम भी हटा देंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा बने पंजाब के ‘कांग्रेसी नेताओं’ को इस मुद्दे पर चुप नहीं रहना चाहिए और भगवा पार्टी की इस पंजाब विरोधी सोच पर उन्हें अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार संघीय ढांचे या संविधान का सम्मान नहीं करती। उन्होंने कहा कि बदकिस्मती की बात है कि केंद्र ने हर संवैधानिक संस्था को कमजोर कर दिया है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों के कामकाज को रोकने के लिए राज्यपालों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि भगवा पार्टी के ऐसे दमनकारी और तानाशाही कदमों का सख्त विरोध किया जाएगा ताकि राज्य के हितों की हर तरह से रक्षा की जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) केंद्र के हाथों की कठपुतली है, जो राज्य के हितों को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ता और गृह मंत्रालय का नया प्रबंधन भी इसी साजिश का ही हिस्सा है। उन्होंने विस्तार से बताया कि भाखड़ा बांध पर सीआईएसएफ के 296 पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे जिस पर राज्य को 8.58 करोड़ रुपये का खर्च देना पड़ेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि जब पंजाब पुलिस पहले ही बांध की सुरक्षा को मुफ्त में सुनिश्चित कर रही है तो हम यह पैसा बीबीएमबी को क्यों दें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी हरगिज इजाजत नहीं दी जाएगी क्योंकि यह कदम बीबीएमबी और भाजपा द्वारा सीआईएसएफ तैनात करके राज्य के पानी पर डाका डालने का नापाक मनसूबा है। उन्होंने कहा कि खुद को पानी के रक्षक बताने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़, मनप्रीत सिंह बादल, केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू जैसे भाजपा बने ‘कांग्रेसी नेताओं’ को इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। भगवंत सिंह मान ने साफ शब्दों में कहा कि यह भाजपा और बीबीएमबी द्वारा पानी पर पंजाब के हिस्से को घटाने की संकीर्ण चाल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य की कर्ज सीमा घटा दी है, आरडीएफ के फंड रोके हुए हैं और अब एक और पंजाब विरोधी कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सीआईएसएफ की तैनाती तर्कहीन और मनमानी वाला कदम है क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। पंजाब के फंडों को रोकने के लिए केंद्र पर बरसते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि केंद्र सरकार गैर-भाजपा वाले राज्यों के साथ पक्षपात और भेदभाव कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों को अपने हकदार फंड प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

बीबीएमबी को सफेद हाथी बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मौजूदा रूप में पूरी तरह से बेबुनियाद और अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि पंजाब अब इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि बीबीएमबी ने भाजपा के दबाव में जल्दबाजी में बैठकें बुलाकर अपने ही संविधान का उल्लंघन किया है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य के लोग भाजपा सरकार और बीबीएमबी द्वारा राज्य के पानी पर डाका डालने की साजिश के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं, जिसके कारण पानी की चोरी रोकी गई है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि मौजूदा गंभीर हालातों में जब पानी का स्तर तेजी से घट रहा है और पानी के स्रोत सूख रहे हैं, इसलिए पानी के हर समझौते की प्रत्येक 25 सालों के बाद समीक्षा की जानी चाहिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हरियाणा के कोटे के मुताबिक पानी की अलॉटमेंट कल से शुरू कर दी गई है, लेकिन अलॉटमेंट से ज्यादा पानी की एक भी बूंद नहीं दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य होने के कारण आतंकवाद और नशों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है लेकिन दुर्भाग्य से हमें इसके लिए भारी फीस अदा करने के लिए कहा जाता है। इसकी मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि दीनानगर (पठानकोट) में हुए आतंकवादी हमले के उपरांत भारत सरकार ने हमले के दौरान अर्धसैनिक बल भेजने के लिए राज्य से 7.5 करोड़ रुपये की मांग की थी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और तर्कहीन है क्योंकि जिस राज्य के सबसे ज्यादा जवान सशस्त्र सेनाओं में देश की सेवा करते हुए शहीद होते हैं, उसे यह फीसें अदा करनी पड़ती हैं।

शेयर